Shankhadhvani
दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं बाजार में निकला हूं खरीदार नहीं हूं
Sunday 27 November 2011
Chunavi Chakllas
हाथी पंजा साईकिल और कमल का फूल /
कब तक हम करते रहें और भूल पर भूल //
और भूल पर भूल कि झूठे इनके वादे /
जाग गयी जनता कोई इनको समझा दे //
ये अवसर के यार न ये दो पल के साथी /
जनता, छाती चढ़ बैठेगी बन कर हाथी//
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