यहाँ गोविन्द गर्वीला मदनमोहन रसीला है /
मधुर श्री श्यामसुंदर और दामोदर रंगीला है //
मेरे राधारमण के नित्य नव सौ सौ नज़ारे हैं ,
यहाँ घर घर में गोपीनाथ की रस रंग लीला है //
नगर का रंग जी मंदिर बड़ी ऊँची अटारी है /
दुलारे राधावल्लभ की सजे बारात प्यारी है //
नगर के द्वार पर बैठे लुटेरी नाम बजरंगी ,
नवल श्री धाम का रजा मेरा बाँके बिहारी है //
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