नज़र उसकी जो सीधी हो तो फिर किस बात का भय हो /
करें जीवन में जो भी कर्म उन पर एक निश्चय हो //
लगायें काम की शुरुआत में बस एक जयकारा ,
त्रिलोकी में सदा बाँके बिहारी लाल की जय हो //
हमारे पाप का क्षय और प्रतिपल पुण्य संचय हो /
कन्हैया सांवरे नटवर के चरणों से लगी लय हो//
सदा ब्रज वास की ही कामना करते हुए बोलें,
त्रिलोकी में सदा बाँके बिहारी लाल की जय हो //
मिले ब्रज धाम का रहना किया जब पुन्य अक्षय हो /
पिया जो नीर यमुना का तो क्यों फिर मृत्यु का भय हो //
यहाँ तो मुक्ति भी रज कामना मन में रखे कहती ,
त्रिलोकी में सदा बाँके बिहारी लाल की जय हो //
No comments:
Post a Comment