Shankhadhvani
दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं बाजार में निकला हूं खरीदार नहीं हूं
Monday 28 November 2011
kuchh Muktak
न बादल भेद करते हैं वो जब पानी गिराते हैं/
गढ़े पानी भरे रहते हैं टीले सूख जाते हैं //
जो भीतर से भरे रहते, वो रह जाते सदा खाली /
जो खालीहाथ रहते हैं वही प्रभु प्यार पाते हैं //
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