समय की चाल को समझो बड़ी ही ये निराली हर /
कभी ये दूध सी उजली कभी रातों सी काली है //
समय है हाथ गर अपने ;ज़हर, दे स्वाद अमृत का /
समय गर साथ ना दे तो भरी मुट्ठी भी खाली है //
समय के खेल हैं सारे समय का हर नज़ारा है/
समय है साथ में जिसके चमकता वो सितारा है //
कहानी वक़्त के हाथों बिगडती या संवर जाती ,
समय तुम पर मेहरबाँ आज ; लेकिन कल हमारा है //
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