Wednesday 30 November 2011

kuchh Muktak

समय की चाल को समझो बड़ी ही ये निराली हर / 
कभी ये दूध सी उजली कभी रातों सी काली है // 
समय है हाथ गर अपने ;ज़हर,  दे स्वाद अमृत का / 
समय गर साथ ना दे तो भरी मुट्ठी भी खाली है // 
समय के खेल हैं सारे समय का हर नज़ारा है/ 
समय है साथ में जिसके चमकता वो सितारा है //
कहानी वक़्त के हाथों बिगडती या संवर जाती ,
समय तुम पर मेहरबाँ आज ; लेकिन कल हमारा है // 

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