रामदेव पर स्याही फिकती राहुल पर फूलों के हार/
सच बोले उसका मुंह काला कैसा है ये भ्रष्टाचार //
एक छोड़ दस दल बदलो तुम फिर भी दूध नहाये हो /
बीस बार मुहँ काला कर के लौट लौट "घर " आये हो //
राजनीति खुद में कालिख है कौन इससे बच पाया है /
जो सच्चा आया भी तो उसने अपमान कराया है //
स्याही फेंको गोबर फेंको सच न कभी छुप पाया है /
जिसने सच को झुठलाया उसने ही जूता खाया है //
सच बोले उसका मुंह काला कैसा है ये भ्रष्टाचार //
एक छोड़ दस दल बदलो तुम फिर भी दूध नहाये हो /
बीस बार मुहँ काला कर के लौट लौट "घर " आये हो //
राजनीति खुद में कालिख है कौन इससे बच पाया है /
जो सच्चा आया भी तो उसने अपमान कराया है //
स्याही फेंको गोबर फेंको सच न कभी छुप पाया है /
जिसने सच को झुठलाया उसने ही जूता खाया है //
No comments:
Post a Comment