मुझे लगता है है मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी मायावती के छुपे हुए एजेंट के रूप में काम कर रहें हैं क्योंकि हाथी या मायावती की मूर्तियाँ ढकने से मायावती को बिना किसी प्रयास के मुफ्त का प्रचार और दलितवर्ग की वर्ग सहानुभूति प्राप्त हो जाएगी / क्या मूर्तियाँ ढकने से जनता हाथी या मायावती को भूल जाएगी या जो दलित वर्ग मायावती की एक आवाज़ पर सर कटाने को तैयार हो जाता है क्या मूर्तियाँ छिपाने से वह ख़त्म हो जायेगा / कुरैशी लाख कोशिश करें टी एन शेषन नहीं बन पाएंगे / इतना ज़रूर है की अपनी इन बचकानी हरकतों से वे हास्यास्पद ही सिद्ध होंगे / जहाँ बदलाव चाहिए वहां इनकी हवा निकल जाती है और ऐसी हरकतों से ये चुनाव सुधार का पाखंड करते हैं / मैं मायावती जी का समर्थक नहीं हूँ पर मिस्टर कुरैशी की इस बेवकूफाना निर्णय पर निंदा करता हूँ // क्या चुनाव सुधार के नाम पर हमें चुनाव होने तक हाथ जेब में डाल कर घूमना चाहिए और साईकिल पर घूमना बंद कर देना चाहिए // भगवन इन मूढों को सद बुदधि दो .......ये हमारे भाग्यविधाता बनते हैं ........कैसा मजाक है !!!!!!!
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