Monday 9 January 2012

Kuraeshi ka Farman

मुझे लगता है  है मुख्य चुनाव आयुक्त कुरैशी मायावती के छुपे हुए एजेंट  के रूप में काम कर रहें हैं   क्योंकि हाथी या मायावती की मूर्तियाँ    ढकने से मायावती को बिना किसी प्रयास के मुफ्त का प्रचार और दलितवर्ग  की वर्ग सहानुभूति  प्राप्त   हो जाएगी / क्या मूर्तियाँ ढकने से जनता  हाथी या मायावती को भूल जाएगी या जो दलित वर्ग मायावती की एक आवाज़ पर सर कटाने को तैयार हो जाता है क्या मूर्तियाँ छिपाने से वह ख़त्म हो जायेगा / कुरैशी लाख  कोशिश करें टी एन  शेषन नहीं बन पाएंगे / इतना ज़रूर  है की अपनी इन बचकानी हरकतों से वे  हास्यास्पद  ही  सिद्ध  होंगे / जहाँ  बदलाव चाहिए वहां इनकी  हवा निकल जाती है और ऐसी हरकतों से ये चुनाव सुधार का पाखंड करते  हैं / मैं मायावती जी  का समर्थक नहीं हूँ पर मिस्टर कुरैशी की इस बेवकूफाना निर्णय पर निंदा करता हूँ // क्या चुनाव सुधार के नाम पर हमें  चुनाव होने तक हाथ जेब में डाल कर घूमना चाहिए और साईकिल  पर घूमना बंद कर देना चाहिए     // भगवन इन मूढों को सद बुदधि दो .......ये हमारे भाग्यविधाता बनते हैं ........कैसा मजाक है !!!!!!!    

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