गाँधी टोपी सज गयीं मस्तक पर तत्काल /
खादी के कुरते धुले ,है चुनाव का साल //
है चुनाव का साल निकल आये प्रत्याशी /
सूर्पनखा से भटकेंगे ले आँखें प्यासी //
उड़ बैठें किस डाल चली है ये जो आंधी /
नेताओं को याद आ रहे फिर से गाँधी //
खादी के कुरते धुले ,है चुनाव का साल //
है चुनाव का साल निकल आये प्रत्याशी /
सूर्पनखा से भटकेंगे ले आँखें प्यासी //
उड़ बैठें किस डाल चली है ये जो आंधी /
नेताओं को याद आ रहे फिर से गाँधी //
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