Thursday 12 January 2012

Chunavi Chakllas

टिकिट किसी को मिल गया पड़ी किसी को लात/
कहीं ख़ुशी के दीप हैं कहीं मिला आघात//
कोई साईकिल से गिर कर चढ़ता हाथी पर /
चारों तरफ भटकती नज़रें हर साथी पर //
मतदाता  को हाथ कर रहे चटा पटा के /
मिल कर भी ना चैन और ना टिकिट कटा के //


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