Shankhadhvani
दुनिया में हूं दुनिया का तलबगार नहीं हूं बाजार में निकला हूं खरीदार नहीं हूं
Thursday 1 December 2011
kuchh Muktak
वालमार्ट क़ी मार से सन्नाया व्यापार/
खोखे गुमटी खा रही ये भूखी सरकार//
ये भूखी सरकार और क्या क्या खायेगी/
ना जाने किस घाट हमें ये ले जायेगी//
कैसा शासन है कि दबे को और कुचलता /
ज्वाला मुखी फटे , दिल में जो रहा मचलता //
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