Thursday 1 December 2011

kuchh Muktak

बड़ी वीरान है बस्ती बड़े वीरान हैं चेहरे /
यहाँ हर साँस पर लगते हैं हर  पल मौत के पहरे //
तुम्हारे दर्द की आहट न सुनने पायेगा कोई , 
यहाँ हर आँख में जाले पड़े हर कान बहरे हैं // 
किसे हम मानते दोज़ख किसे जन्नत कहा जाता /
दिलों का प्यार है जन्नत यहीं ढूंढो तो मिल जाता //
ना कोई खास पैमाना  नरक या स्वर्ग जो मापे ,
वो जन्नत है या दोज़ख बस इन्ही आँखों में मिल जाता //

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