बड़ी वीरान है बस्ती बड़े वीरान हैं चेहरे /
यहाँ हर साँस पर लगते हैं हर पल मौत के पहरे //
तुम्हारे दर्द की आहट न सुनने पायेगा कोई ,
यहाँ हर आँख में जाले पड़े हर कान बहरे हैं //
किसे हम मानते दोज़ख किसे जन्नत कहा जाता /
दिलों का प्यार है जन्नत यहीं ढूंढो तो मिल जाता //
ना कोई खास पैमाना नरक या स्वर्ग जो मापे ,
वो जन्नत है या दोज़ख बस इन्ही आँखों में मिल जाता //
No comments:
Post a Comment